Interchange fees kya hai in Hindi

इंटरचेंज फीस क्या है? ATM से पैसे निकालने पर कितना चार्ज लगता है? ATM से पैसे निकालने की लिमिट कितनी है? बैंक ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तरह-तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि एटीएम का इस्तेमाल करने के लिए बैंक आपसे पैसे नहीं लेते हैं, तो यह गलत है। आमतौर पर एक महीने में एटीएम के जरिए पांच ट्रांजैक्शन ग्राहकों के लिए बिल्कुल फ्री होती हैं।

इसके साथ ही किसी अन्य बैंक के एटीएम से तीन और ट्रांजैक्शन मुफ्त दिए जाते हैं। अगर आप एक महीने में एटीएम के जरिए इस लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन करते हैं तो बैंक आपसे चार्ज कर सकते हैं।

लेकिन अब RBI ने ATM से पैसे निकालने, बैलेंस देखने और पिन बदलने पर लगने वाले इंटेरचेंज फीस बढ़ा रही है। हम आपको बताएँगे की आख़िर क्या होती है इंटेरचेंज फीस, जिससे ट्रांजैक्शन इतनी महेंगी हो रही है तो आइए जानते है।

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इंटरचेंज फीस क्या है | Interchange Fees kya hai in Hindi

यदि एक बैंक का ग्राहक अपने कार्ड का इस्तेमाल करके किसी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालता है, तो जिस बैंक के एटीएम से पैसे निकाले जाते हैं वह मर्चेंट बैंक बन जाता है। ऐसे में आपके बैंक को मर्चेंट बैंक को एक निश्चित शुल्क देना पड़ता है, जिसे एटीएम इंटरचेंज फीस कहा जाता है। दूसरे बैंक के एटीएम से एक सीमा से अधिक निकासी के लिए इंटरचेंज फीस लगाई जाती है।

इंटरचेंज फीस कब से बढ़ेंगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को 1 अगस्त, 2021 से सभी केंद्रों पर वित्तीय लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन इंटरचेंज शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये और गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये करने की अनुमति दी है।

इंटेरचेंज फीस बढ़ने का कारण क्या है।

आरबीआई ने कहा है कि एटीएम की स्थापना और रखरखाव की लागत में वृद्धि के कारण फीस में वृद्धि की गई है। एटीएम संचालक की मांग थी कि फीस बढ़ाई जाए। लेकिन बैंक इसके लिए तैयार नहीं था। जून 2019 में, केंद्रीय बैंक ने एटीएम शुल्क और शुल्क की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था।

समिति की सिफारिशों पर चर्चा के बाद एटीएम लेनदेन शुल्क में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले अगस्त 2012 में एटीएम के इंटरचेंज फीस में बदलाव किया गया था। इसके साथ ही कोरोना काल में ऑनलाइन लेनदेन में वृद्धि के कारण एटीएम लेनदेन में कमी आई है। इसलिए एटीएम स्थापित करने की लागत बैंकों द्वारा ली जा रही है।

मासिक सीमा से अधिक लेन-देन पर भी कितना चार्ज लगेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को उन ग्राहकों से अधिक शुल्क लेने की अनुमति दी है जो मुफ्त मासिक सीमा से अधिक बार एटीएम से लेनदेन करते हैं। बैंक के एटीएम का उपयोग करने वाले ग्राहकों को 1 जनवरी, 2022 से प्रति लेनदेन 21 रुपये का शुल्क देना होगा। वर्तमान में, मुफ्त सीमा से अधिक लेनदेन के लिए 20 रुपये प्रति लेनदेन शुल्क लिया जाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों के एटीएम से नकदी निकालने पर 15 रुपये से 17 रुपये और बैलेंस पूछताछ या पिन बदलने पर शुल्क 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये कर दिया है, इससे पहले इंटरचेंज शुल्क में बदलाव अगस्त 2012 में किया गया था। जबकि आखिरी बदलाव अगस्त 2014 में किया गया था।फिर एक यह बदलाव 2022 में करने जा रहे है।

इंटेरचेंज़ फीस बढ़ाने से ग्राहक पर क्या असर होगा।

अब आप सोच रहे होंगे कि इस इंटरचेंज फीस के बढ़ने से आपकी जेब पर कितना बोझ पड़ने वाला है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। फिलहाल बैंक एक सीमा के बाद दूसरे बैंकों के एटीएम से लेनदेन के लिए ग्राहक से अधिकतम 20 रुपये वसूल सकते हैं। यह सीमा आरबीआई ने तय की है। अब इसे बढ़ाकर महज 21 रुपये कर दिया गया है। लेकिन क्या ये 21 रुपये कल से ही इस्तेमाल होने लगेंगे?

रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में साफ कर दिया है कि बैंक आपस में लगने वाले इंटरचेंज फीस को इस साल अगस्त से बढ़ा सकते हैं। लेकिन ग्राहकों से वसूले जाने वाले 21 रुपये की फीस अगले साल की शुरुआत यानी 1 जनवरी 2022 से पहले नहीं बढ़ाई जाएगी. इसके बाद ही आपकी जेब पर यह एक रुपये का बोझ बढ़ेगा. तो क्या इसके बाद फ्री ट्रांजैक्शन बंद हो जाएगा?

वर्तमान में बैंक के ग्राहकों को अपने ही बैंक के एटीएम से एक महीने में कुल 5 मुफ्त लेनदेन मिलते हैं। इसमें नकद निकासी से लेकर बैलेंस पूछताछ तक शामिल है। जबकि अन्य बैंकों के एटीएम से ग्राहकों को मेट्रो शहरों में 3 और गैर-मेट्रो शहरों में 5 लेनदेन की सुविधा मिलती है। शुल्क में वृद्धि के बाद भी ग्राहकों को यह सुविधा मिलती रहेगी। यानी इन ट्रांजैक्शन की लिमिट खत्म होने के बाद आपको 21 रुपए फीस देनी होगी।

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